संधि (Joining) FULL NOTES FOR EVERY STATE OR CENTRE EXAMS UP POLICE STATE PCS







                  संधि (Joining)


परिभाषा - दो समीपवर्ती वर्गों के मिलने से जो परिवर्तन होता है उसे ही संधि कहा जाता है।
जैसे - विद्या + आलय = विद्यालय  यहाँ पर विद्यालय में द्या और आलय के आ मिल जाने से आ हो गया है।

      ● संधि में सदैव पहले शब्द का अंतिम वर्ण ( विद्या में द्या ) और अंतिम शब्द का पहला वर्ण ( आलय में आ ) का मेल होता है।

संधि विच्छेद - दो समीपवर्ती वर्गों के मेल से जो संधि बनता है उसे मूल अवस्था में लाने को ही संधि विच्छेद कहते हैं ।

जैसे - विद्यालय = विद्या + आलय
         देवालय = देव + आलय
         परीक्षार्थी = परीक्षा + अर्थी
         इत्यादि = इति + आदि

संधि के प्रकार : संधियाँ तीन प्रकार की होती हैं-
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि 
3. विसर्ग संधि

1. स्वर संधि - जब दो स्वरों के मेल से परिवर्तन होता है, तो इसे स्वर संधि कहते हैं।
जैसे - परम + अर्थ = परमार्थ
         सत्य + अर्थी = सत्यार्थी

स्वर संधि पांच भेद हैं• 

 • अयादि संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • दीर्घ संधि (अ गु वृ य दी )
अयादि संधि : इसमें निम्नलिखित स्वरों के मेल से निम्नलिखित परिवर्तन होता है- 

पहचान चिन्ह - जब दो समीपवर्ती वर्णो के मिलने से संधि में अय, आय, आवु, अव, आव, अवि, आदि आये तो वह अयादि संधि है।
ए+अ = अय     ने + अन     नयन
ए+अ = अय     शे + अन    शयन
ए+अ = अय     चे + अन    चयन
ऐ + अ = आय   नै + अक   नायक
ऐ + अ = आय   गै + अक   गायक
ऐ + अ = आय   गै + अन    गायन
ऐ + अ = आय   विधै + अक    विधायक
ऐ + अ = आय   विनै + अक    विनायक
ऐ + अ = आय   सै + अक      सायक
ऐ + इ = आयि   नै + इका     नायिका
ऐ + इ = आयि   गै + इका     गायिका
ओ + अ = अव   पो + अन    पवन
ओ + अ = अव   गो + अन    गवन
ओ + अ = अव   भो + अन    भवन
ओ + ई = अवी   गो + ईश     गवीश
ओ + इ = अवि   पो + इत्र      पवित्र
औ + अ = आव  पौ + अक    पावक
औ + अ = आव  धौ + अक    धावक
औ + इ = आवि  नौ + इक     नाविक
औ + उ = आवु  भौ + उक    भावुक

• गुण संधि - अ, आ + इ, ई, उ, ऊ, ऋ स्वर के आपस में मिलने से ए , ओ और अर बनता है।
पहचान चिन्ह - दो स्वरों के मिलने से परिवर्तन शब्द में ए , ओ और अर आता है।

अ + इ = ए    देव + इंद्र    देवेंद्र
अ + इ = ए    सुर + इंद्र    सुरेंद्र
अ + इ = ए    उप + इंद्र    उपेंद्र
अ + इ = ए    नर + इंद्र     नरेंद्र
अ + इ = ए    प्र + इत       प्रेत
अ + इ = ए    बाल + इन्दु  बालेन्दु
अ + ई = ए    सुर + ईश    सुरेश
अ + ई = ए    नर + ईश    नरेश
अ + ई = ए    खग + ईश   खगेश
अ + ई = ए    गण + ईश   गणेश
अ + ई = ए    परम + ईश्वर  परमेश्वर
आ + इ = ए   महा + इंद्र    महेंद्र
आ + इ = ए   रसना + इन्द्रिय  रसनेन्द्रिय
आ + ई = ए   रमा + ईश   रमेश
आ + ई = ए   महा + ईश्वर   महेश्वर
अ + उ = ओ   सूर्य + उदय   सूर्योदय
अ + ऊ = ओ   जल + ऊर्मि    जलोर्मि
आ+ उ = ओ    महा + उपदेश   महोपदेश
आ + ऊ = ओ   महा + ऊर्जस्वी   माहोर्जस्वी
अ + ऋ = अर    देव + ऋषि      देवर्षि
अ + ऋ = अर    सप्त + ऋषि    सप्तर्षि
अ + ऋ = अर    महा + ऋषि    महर्षि

• वृद्धि संधि - इसमें दो स्वरों के मेल से दीर्घ स्वर बन जाता है।

अ ,आ + ए , ऐ = ऐ इसी प्रकार अ , आ + ओ , औ = औ हो जाता है।
पहचान - परिवर्तन शब्द में ऐ , औ का मात्रा होता है।

अ + ए = ऐ     एक + एक       एकैक
अ + ए = ऐ     दिन + एक       दिनैक
अ + ऐ = ऐ     मत + ऐक्य      मतैक्य
अ + ऐ = ऐ     देव + ऐश्वर्य      देवैश्वर्य
आ + ए = ऐ    सर्वदा + एव     सर्वदैव
आ + ए = ऐ    सदा + एव     सदैव
आ + ए = ऐ    तथा + एव     तथैव
आ + ऐ = ऐ    महा + ऐश्वर्य     महैश्वर्य
अ + ओ = औ    परम + औषध    परमौषध
अ + ओ = औ    परम + औदार्य    परमौदार्य
आ + ओ = औ   महा + ओज      महौज
आ औ = औ     महा + औषध     महौषध

• यण संधि - जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं , इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं ।
इ, ई + भिन्न स्वर = व
उ, ऊ + भिन्न स्वर = व
ॠ + भिन्न स्वर = र
पहचान - इसमें परिवर्तन शब्द में य, व, र के पहले अधिकतर आधा अक्षर होता है।

इ + अ = य     अति + अधिक      अत्यधिक
इ + अ = य     यदि + अपि          यद्दपि
इ + आ = या   इति + आदि         इत्यादि
इ + आ = या   अति + उत्तम        अत्युत्तम
इ + ऊ = यू     नि + उन             न्यून
इ + उ = यु      प्रति + उत्तर        प्रत्युत्तर
इ + उ = यु      प्रति + उपकार    प्रत्युपकार
इ + उ = यु      उपरि + उक्त      उपर्युक्त
इ + उ = यु      वि + उत्त्पत्ति        व्युत्पत्ति
इ + ए = ये       प्रति + एक          प्रत्येक
ई + आ = या    देवी + आलय       देव्यालय
ई + उ = यु       देवी + उक्ति        देवयुक्ति
ई + ओ = यो     देवी + ओज        देव्योज
ई + औ = यौ     देवी + औदार्य     देव्यौदार्य
ई + अं = यं       देवी + अंग         देव्यंग
ई + ऐ = यै        देवी + ऐश्वर्य       देव्यैश्वर्य
उ + अ = व      मनु + अंतर         मन्वन्तर
ॠ + अ = र     पितृ + अनुमति     पितृनुमति
ॠ + आ = रा   मातृ + आज्ञा         मात्राज्ञा
ॠ + इ = रि     मातृ + इच्छा         मात्रिच्छा

• दीर्घ संधि -जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ , तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है, इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
इसमें जब दो छोटे, दो बड़े या दो छोटे बड़े स्वरों का मेल होता है है, तो हमेश बड़ा स्वर बनता है।
पहचान - परिवर्तन शब्द में आ , ई और ऊ का मात्रा होता है।

अ + अ  = आ       परम + अर्थ         परमार्थ
अ + अ  = आ       कल्प + अंत        कल्पांत
अ + आ = आ       हिम + आलय        हिमालय
अ + आ = आ       शिव + आलय        शिवालय
आ + अ  = आ      पुरा + अवशेष        पुरावशेष
आ + अ  = आ      विद्या + अर्थी          विद्यार्थी
आ + आ = आ      विद्या + आलय        विद्यालय
आ + आ = आ      वार्ता + आलाप        वार्तालाप
इ + इ = ई            अभि + इष्ट        अभीष्ट
इ + इ = ई            अति + इत        अतीत
इ + ई = ई            हरि + ईश        हरीश
इ + ई = ई            कवि + ईश        कविश
ई + इ = ई            लक्ष्मी + इच्छा        लक्ष्मीच्छा
ई + ई = ई            जानकी + ईश        जानकीश
उ + उ = ऊ          सिन्धु + उर्मि          सिंधूर्मी
ऊ + ऊ = ऊ         वधू + उत्सव         वधूत्सव

2. व्यंजन संधि व्यंजन में स्वर या व्यंजन के मिलने के जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहा जाता है।

पहचान - दिए गए किसी एक वर्ण में हलन्त ( 、) का चिन्ह लगा रहता है। जैसे - ख्

व्यंजन संधि के नियम

1. जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग्, च् को ज्, ट् को ड्, त् को द्, और प् को ब् में बदल दिया जाता है अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे ।

क् के ग् में बदलने के उदाहरण
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
दिक + गज = दिग्गज
वाक् +ईश = वागीश

च् के ज् में बदलने के उदाहरण
अच्+अन्त = अजन्त
अच्+ आदि =अजादी

ट् के ड् में बदलन के उदाहरण
षट्+ आनन = षडानन
षट्+ यन्त्र = षड्यन्त्र
षड्दर्शन = षट्+ दर्शन
षड्वि कार = षट्+ विकार

त् के द् में बदलने के उदाहरण
तत् + उपरान्त = तदुपरान्त
सदाशय = सत् + आशय
तदनन्तर = तत् + अनन्तर
उद्घाटन = उत् + घाटन
जगदम्बा = जगत् + अम्बा

प् के ब् में बदलने के उदाहरण
अप् + द = अब्द
अब्ज = अप् + ज

2. यदि म का मेल य,र,ल, व, श, ष.स और ह से हो, तो म अनुस्वार में बदल जाता है।

सम + योग = संयोग
सम + रक्षक  = संरक्षक
सम + विधान = संविधान
सम + सार  = संसार
सम + हार  = संहार

3. म, का मेल म से होने पर कोई परिवर्तन नहीं होता है।

सम、 + मान = सम्मान
सम、 + मति = सम्मति

4. त, का मेल ल से होने त ल में बदल जाता है।
उत + लास     उल्लास
तत + लीन     तल्लीन
उत + लेख     उल्लेख

5. त, का मेल च, छ से होने पर त, च में बदल जाता है।
उत、 + चारण       उच्चारण
उत、 + चरित       उच्चरित
जगत + छाया       जगच्छाया
सत、 + चरित्र       सच्चरित्र

6. त, का मेल ज और झ से होने त, ज, में बदल जाता है।
सत + जन          सज्जन
जगत + जननी          जगज्जननी
विपत + जाल          विपज्जाल
उत, + जवल          उज्ज्वल
उत + झटिका          उज्झटिका

8. म, का मेल म तक के किसी भी व्यंजन से होने पर म, उसी वर्ग के पंचमाक्षर में बदल जाता है।
सम + कलन    संकलन
सम, + गति      संगती
सम 、+ चय      संचय
सम、 + पर्णू      सम्पर्णू 
परम、 + तु        परन्तु

9. त के बाद यदि ह हो, तो त द, में और ह ध, में बदल जाता है।
तत、+ हित = तद्धित
उत、+ हार = उद्धार
उत、+ हत = उद्धत

10. त का मेल यदि ट, ड से हो, तो क्रमश: ट और ड में बदल जाता है।
उत + डयन = उड्डयन
बृहत्+ टीका = बृहटटीका

11. हस्व स्वर और आ का मेल छ से होने पर च्छ हो जाता है।
स्व + छन्द = स्वच्छन्द
परि + छेद = परिच्छेद
अनु+ छेद = अनुच्छेद
वि + छेद = विच्छेद

12. स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष बना दिया जाता है।
वि + सम = विषम
वि + साद = विषाद
सु+ समा = सषुमा
नि + सिद्ध = निषिद्ध
अभि + सिक्त = अभिषिक्त
अनु+ संग = अनुषंग

13. ऋ, र, ष के बाद न व्यंजन आता है, तो न का ण हो जाता है।

परि + नाम = परिणाम
प्र + मान = प्रमाण
राम + अयन = रामायण
भषू + अन = भषूण

(3) विसर्ग संधि

विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है, उसे 'विसर्ग संधि' कहते है।
पहचान - विसर्ग चिन्ह (:)

विसर्ग संधि के नियम

1. विसर्ग के साथ च या छ के मिलन से विसर्ग के जगह पर 'श्’ बन जाता है। विसर्ग के पहले अगर ‘अ’ और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है।

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
अधः + गति = अधोगति
मनः + बल = मनोबल
निः + चय = निश्चय
दुः + चरि त्र = दुश्चरित्र
ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र
निः + छल = निश्छल

तपश्चर्या = तपः + चर्या
अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना
हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र
अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु

2. विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है। विसर्ग के साथ ‘श' के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी 'शू' बन जाता है।

दु: + शासन = दुश्शासन
यश: + शरीर = यशश्शरीर
निः + शुल्क = निश्शुल्क
निः + आहार = निराहार
निः + आशा = निराशा
निः + धन = निर्धन
निश्श्वास = निः + श्वास
चतुश्श्लोकी - चतुः + श्लोकी
निश्शंक= निः + शंक

3. विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जाता है।

धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
चतु: + टीका = चतुष्टीका
चतु: + षष्टि = चतुष्षष्टि
निः + चल = निश्चल
निः + छल = निश्छल
दु: + शासन = दुश्शासन

4. विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा विसर्ग के साथ मिलने वाले शब्द का प्रथम वर्ण क, ख, प, फ में से कोई भी हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जायेगा।

निः + कलंक = निष्कलंक
दु: + कर = दुष्कर
आवि: + कार = आविष्कार
चतु: + पथ = चतुष्पथ
निः + फल = निष्फल
निष्काम = निः + काम
निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन
बहिष्कार = बहिः + कार
निष्कपट = निः + कपट
नमः + ते = नमस्ते
निः + संतान = निस्संतान
दु: + साहस = दुस्साहस

5. विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क, ख, प, फ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग भी ज्यों का त्यों बना रहेगा।

अधः + पतन = अध: पतन
प्रातः + काल = प्रातः काल
अन्त: + पुर= अन्तः पुर
वय: क्रम = वय: क्रम
रजः कण = रज: + कण
तपः पूत = तप: + पूत
पय: पान = पय: + पान
अन्त: करण = अन्त: + करण

विसर्ग संधि के अपवाद
भाः + कर = भास्कर
नमः + कार = नमस्कार
पुर: + कार = पुरस्कार
श्रेय: + कर = श्रेयस्कर
बृह: + पति = बृहस्पति
पुर: + कृत = पुरस्कृत
तिर: + कार= तिरस्कार
निः + कलंक = निष्कलंक
चतुः + पाद = चतुष्पाद
निः + फल = निष्फल

6. विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर 'स्' बन जायेगा ।

अन्त: + तल = अन्तस्तल
नि: + ताप = निस्ताप
दुः + तर = दुस्तर
नि: + तारण = निस्तारण
निस्तेज = निः + तेज
नमस्ते = नमः + ते
मनस्ताप = मनः + ताप
बहिस्थल = बहि: + थल
निः + रोग = निरोग
निः + रस = नीरस

7. विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। विसर्ग के साथ ‘स' के मेल पर विसर्ग के स्थान पर 'स्' बन जाता है।

निस्सन्देह = निः + सन्देह
दुस्साहस = दु: + साहस
निस्स्वार्थ = नि: + स्वार्थ
निस्संतान = निः + संतान
दुस्साध्य = दु: + साध्य
मनस्संताप = मनः + संताप
पुनस्स्मरण पुनः + स्मरण
अंतःकरण = अंतः + करण

8. यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में 'इ' व 'उ' का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद 'र' हो तो सन्धि होने पर विसर्ग का तो लोप हो जायेगा साथ ही 'इ' व 'उ' की मात्रा 'ई' व 'ऊ' की हो जायेगी ।

नि: + रस = नीरस
नि: + रव = नीरव
नि: + रोग = नीरोग
दु: + राज= दूराज
नीरज = निः + रज
नीरन्द्र = निः + रन्द्र
चक्षुरोग - चक्षु: + रोग
दूरम्य = दु: + रम्य

9. विसर्ग के पहले वाले वर्ण में 'अ' का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जायेगा तथा अन्य कोई परिवर्तन नहीं होगा।

अतः + एव = अतएव
मनः + उच्छेद = मनउच्छेद
पय: + आदि = पयआदि
ततः + एव = ततएव

10. विसर्ग के पहले वाले वर्ण में 'अ' का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ, ग, घ, ड०, , झ, ज,
ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ओ' बन जायेगा।

मनः + अभिलाषा = मनोभिलाषा
सर: + ज= सरोज
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
यश: + धरा = यशोधरा
मन: + योग = मनोयोग
अध: + भाग = अधोभाग
तप: + बल = तपोबल
मनः + रंजन = मनोरंजन
मनोनुकूल = मनः + अनुकूल
मनोहर = मनः + हर
तपोभूमि = तप: + भूमि
पुरोहित = पुरः + हित
यशोदा = यश: + दा
अधोवस्त्र = अधः + वस्त्र
 
BY USMAN MALIK